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Bihar: RLM में बगावत की खबर, तीन विधायकों ने दिल्ली में भाजपा नेताओं से की मुलाकात
- Reporter 12
- 26 Dec, 2025
पटना।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आने के बाद राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। इसी बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में असंतोष और बगावत के संकेत सामने आए हैं। पार्टी के भीतर यह असंतोष मुख्य रूप से उपेंद्र कुशवाहा द्वारा बिना चुनाव लड़ाए अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाने के फैसले को लेकर है।
सूत्रों के अनुसार, RLM के चार विधायकों में से तीन – माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह – अब पार्टी से अलग होने की तैयारी में हैं। इन विधायकों और उपेंद्र कुशवाहा के बीच पिछले 15 दिनों से कोई बातचीत नहीं हुई है। चौथी विधायक उपेंद्र की पत्नी स्नेहलता कुशवाहा हैं।
ताजा घटनाक्रम
लोकसभा के शीतकालीन सत्र के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पटना स्थित अपने आवास पर लिट्टी-पार्टी का आयोजन किया। इसमें तीनों विधायकों को आमंत्रित किया गया था। हालांकि, कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले ये विधायक दिल्ली रवाना हो गए, और वहां भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मुलाकात की। इस कदम ने पार्टी में टूट की अटकलों को और तेज कर दिया है।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि समय रहते डैमेज कंट्रोल नहीं हुआ तो RLM में बगावत तय मानी जा सकती है। दल-बदल कानून के अनुसार, किसी दल के दो-तिहाई विधायक अगर किसी अन्य दल में चले जाते हैं, तो उन्हें इसके लिए रोक नहीं है। RLM के चार विधायकों में से तीन के जाने की स्थिति इस शर्त को पूरा करती है।
तीन विधायकों का राजनीतिक प्रोफ़ाइल
रामेश्वर महतो – पहले JDU में थे, चुनाव से ठीक पहले RLM में शामिल हुए।
माधव आनंद – लंबे समय से कुशवाहा के करीबी, भाजपा के शीर्ष नेताओं से भी अच्छे संबंध।
आलोक सिंह – उनके भाई संतोष सिंह भाजपा नेता और पिछली NDA सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये सभी विधायक एनडीए के किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं।
जदयू-भाजपा समीकरण पर असर
विधानसभा में फिलहाल भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि जदयू उससे कुछ सीटें पीछे है। यदि RLM के तीन विधायक जदयू में शामिल होते हैं, तो जदयू की संख्या भाजपा के बराबर हो सकती है। वहीं, भाजपा के पास भी इन विधायकों को अपने पाले में करने का विकल्प मौजूद है।
उपेंद्र कुशवाहा इस समय भाजपा कोटे से राज्यसभा सांसद हैं, और भाजपा के समर्थन से उनके बेटे दीपक प्रकाश को नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। दीपक प्रकाश किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, लेकिन उन्हें आखिरी समय में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। यही फैसला पार्टी के भीतर असंतोष और विद्रोह का मुख्य कारण माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि RLM में विधायकों की संभावित दल-बदल बिहार के सियासी समीकरण को अगले महीनों में बदल सकती है।
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